Mahamrityunjaya Mantra – मृत्यु पर विजय पाने वाला मंत्र [PDF + MP3]

भगवान शिव जी की आराधना करने से आपको जीवन में सभी सुख प्राप्त होंगे | आप भगवान शिव के इष्ट मंत्रों का जाप करके शिव जी की आराधना कर सकते हैं | शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने के बाद व्यक्ति को महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए | Mahamrityunjaya Mantra को संसार का सबसे बड़ा मंत्र माना गया हैं | यह मृत्यु पर विजय पाने वाला मंत्र हैं | इस मंत्र को त्रयम्बकम मंत्र भी कहा जाता हैं | शिव तांडव स्तोत्र जैसे ही महामृत्युंजय मंत्र भी शिव जी की स्तुति हैं |

ऋषिमुनियों ने महामृत्युंजय मंत्र को वेद का ह्रदय कहा हैं | जो व्यक्ति महामृत्युंजय मंत्र का जाप करता है उसे लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है | प्राचीन हिंदू ग्रंथो में भगवान शिव के अनेक स्वरूपों का वर्णन किया है, उसमे महामृत्युंजय स्वरुप भी है | इसीलिए भगवान शिव को मृत्युंजय भी कहा जाता है | महामृत्युंजय मंत्र को मृत संजीवनी मंत्र भी कहते हैं | शास्रो के अनुसार, इस मंत्र का जाप करने से मरते हुए व्यक्ति को भी जीवन दान मिल सकता है | जब व्यक्ति के बचने की कोई भी आशा नही हो तब इस मंत्र का कम से कम 64 हजार या सवा लाख बार जाप करवाना चाहिए |

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Mahamrityunjaya Mantra in hindi

Mahamrityunjaya Mantra Lyrics in Hindi

।। मृत संजीवनी मंत्र ।।

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

।। लघु मृत्युंजय मंत्र ।।

ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।

।। संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र ।।

।। ॐ ह्रौं जूं स: । ॐ भूर्भुव: स्व: ।।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।
ॐ स्व: भुव: भू: ॐ । स: जूं ह्रौं ॐ ।।

Maha Mrityunjaya Mantra Lyrics in Hindi

महामृत्युंजय मंत्र की रचना कैसे हुई – सनातन धर्म में जो कोई भी मंत्र हो वह ऋषिमुनियों की तपस्या और साधना का फल है | मानव जाती के कल्याण के लिए भगवान से उन्होंने मंत्र सिद्धि कर ली है | महामृत्युंजय मंत्र की कथा भी वैसे ही है | मृकंडू नामक महान ऋषि थे लेकिन वह और उनकी पत्नी निसंतान थे | संतान प्राप्ति के लिए मृकंडू ऋषि ने भगवान शिव की घोर तपस्या की | भगवान शिव ने प्रसन्न हो कर मृकंडू ऋषि को वरदान मांगने को कहा | ऋषि ने संतान प्राप्ति की इच्छा बताई | लेकिन भगवान शिव ने ऋषि को दो विकल्प दिए और उसमे से चयन करने को कहा | पहला विकल्प था की संतान मुर्ख और दीर्घायु होगा, दूसरा विकल्प यह था की पुत्र अत्यंत ज्ञानी होगा परन्तु 16 वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हो जाएगी |

मृकंडू ऋषि ने दूसरे विकल्प को चुना | लेकिन उन्होंने ने अपने पुत्र मार्कण्डेय को जन्म के बाद ये बता दिया की 16 वर्ष आयु पूरा होने पर उसकी मृत्यु हो जाएगी | इसी अकाल मृत्यु को टालने के लिए मार्कण्डेय ऋषि भगवान शिव के शरण में गये और महामृत्युंजय मंत्र की रचना कर उसे सिद्ध करने के लिए साधना की | भगवान शिव ने प्रसन्न हो कर मार्कण्डेय ऋषि को अमर होने का वरदान दिया और जो भी व्यक्ति इस मंत्र का जाप करेगा वह अकाल मृत्यु से बच जायेगा यह आशीर्वाद भी दिया |


Mahamrityunjaya Mantra Meaning

हम त्रिनेत्र को पूजते हैं,
जो सुगंधित हैं, हमारा पोषण करते हैं,
जिस तरह फल, शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है,
वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।

त्र्यम्बकं :- इसका अर्थ है तीन आंखों वाला, भगवान शिव की दो साधारण आंखें हैं पर तीसरी आंख दोनों भौहों के मध्य में है. तीसरी आंख है विवेक और अंर्तज्ञान की.

यजामहे:- इसका अर्थ है कि भगवान के प्रति जितना पवित्र भाव पाठ व जाप के दौरान रखा जाएगा उतना ही उसका प्रभाव बढ़ेगा.

सुगंन्धिं :- भगवान शिव सुगंध के पुंज हैं . जो मंगलकारी है उनका नाम ही शिव है. उनकी ऊर्जा को यहां सुगंध कहा गया है.

पुष्टिवर्धनम् :- आध्यात्मिक पोषण और विकास की ओर जाना. अधिक मौन अवस्था में रहते हुए आध्यात्मिक विकास अधिक रह सकता है. संसार में ईर्ष्या, घृणा, अहंकार आदि के कीचड़ में रहते हुए कमल की तरह खिलना होगा. आध्यात्मिक विकास के बिना कमल नहीं बना जा सकता है.

उर्वारुकमिवबंधनान् :- संसार में जुड़े रहते हुए भी भीतर से अपने को इस बंधन से छुड़ाना है. जिस प्रकार लौकी जब पक जाती है तो वह बाहर से लता से जुड़ी हुई दिखती है लेकिन वास्तव में वह लता को त्याग चुकी होती है. भगवान शिव मुझे संसार में रहते हुए आध्यात्मिक परिपक्वता प्रदान करें.

मृर्त्योर्मुक्षीत मामृतात् :- आध्यात्मिक परिपक्वता आने के बाद मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाती है. हे प्रभु आपके अमृत्व से कभी हम वंचित न हो. जब यह भाव मजबूत हो जाएगा तब मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाएगी.


महामृत्युंजय मंत्र जाप की विधि और फायदे

महामृत्युंजय मंत्र जाप की विधि –

अगर कोई व्यक्ति किसी बिमारी से ग्रस्त है और उसके बचने की संभावना ना हो, तो महामृत्युंजय मंत्र का सवा लाख जाप करना चाहिए | भगवान शिव के लघु मृत्युंजय मंत्र का 11 लाख जाप करना चाहिए | आप प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप कर सकते है और इसका प्रारंभ सोमवार के दिन करना चाहिए | इस मंत्र का जाप करने के लिए रुद्राक्ष माला का प्रयोग करें |

महामृत्युंजय मंत्र जाप के लाभ –

  • जो व्यक्ति महामृत्युंजय मंत्र का जाप करता है उसे बहुत सारे लाभ मिलते है, बहुत सारे दोष जैसे की मांगलिक दोष, कालसर्प दोष, भुत-प्रेत दोष, अकाल मृत्यु, निसंतानता इनका नाश होता है |
  • जो मनुष्य दीर्घायु (लंबी उम्र) पाना चाहता है, उसे इस मंत्र का जाप करना चाहिए | इस मंत्र के प्रभाव से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है |
  • इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को आरोग्य प्राप्ति होती है, उसके सारे रोगों का नाश हो जाता है और व्यक्ति निडर बनता है |
  • इस मंत्र का जाप करने से मनुष्य को संपत्ति प्राप्त होती है और उसे धन धान्य की कभी भी कमी नही होती |
  • यह मंत्र का जाप करने वालो को समाज में सम्मान की प्राप्ति होती है | महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने वाले व्यक्ति पर भगवान शिव की हमेशा कृपा बनी रहती है और संतान प्राप्ति भी होती है |

Mahamrityunjaya Mantra Lyrics in Hindi – Download PDF and MP3

शास्रो के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र का प्रतिदिन जाप करना बहुत ही लाभदायक माना गया है | इसीलिए आप ऑफलाइन पढ़ने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें और Mahamrityunjaya Mantra PDF in Hindi Lyrics मुफ्त डाउनलोड करें | अगर आप Mahamrityunjaya Mantra MP3 Audio डाउनलोड करना चाहते हो तो download button पर क्लिक करें |

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