Lord Shiva who is also known as “Mahadeva” is one of the principal gods of Hinduism. There are different traditions in Hinduism, one of them is Shaivism and Lord Shiva is the supreme being of Shaivism. As we know there is a trinity in Hinduism called “Trimurti” which includes three supreme gods. Lord Shiva is one of the supreme gods of the trinity along with Lord Vishnu and Lord Brahma. Mahadeva is known as “The Destroyer” in the Trinity. Lord Shiva is also known as “Bholenath” because he listens to the prayers of his devotees and blesses them. In this article, we are going to talk about the “Shiv Tandav Stotram”.
शिव तांडव स्तोत्र की रचना शिव जी के परम भक्त रावण द्वारा की गयी हैं | ऐसी मान्यता है की शिवभक्त रावण को अपनी शक्ती पर अहंकार हो गया था और इसी गर्व के चलते उन्होंने कैलाश पर्वत उठा लिया था | भगवान शिव जी को रावण का यह अहंकार पसंद नही आया और रावण का गर्व हरण करणे के लिये भगवान शिव ने अपने पैर के अंगुठे से कैलाश पर्वत दबाया और वह पर्वत अपनी जगह स्थित हो गया | शिव जी के परम भक्त रावण का हाथ कैलाश पर्वत की नीचे दब गया और वह दर्द से माफी मागणे लगा | भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिये वह शिव जी की स्तुति करने लगा उसी स्तुति को हम शिव तांडव स्तोत्र कहते है |
भगवान शिव, रावण द्वारा कीये गयी स्तुति से बहोत ज्यादा खुश हुये और भगवान भोलेनाथ ने रावण को सम्पूर्ण ज्ञान, सोने की लंका तथा अमर होने का वरदान भी दिया | और कहा जाता है की सिर्फ शिव तांडव स्तोत्र को सुनने मात्र से ही व्यक्ती को संपत्ती और समृद्धी प्राप्त हो जाती है | जो व्यक्ती हर रोज Shiv Tandav Stotram Lyrics का पाठ करता हे, भगवान शिव जी का आशीर्वाद उस व्यक्ती को प्राप्त होता है | वह व्यक्ती हर तरह के संकटो का सामना करने की शक्ति प्राप्त कर लेता है |
Shiv Tandav Stotram Lyrics in Hindi With Meaning
सार्थशिवताण्डवस्तोत्रम्
॥ श्रीगणेशाय नमः ॥
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥१॥
हिंदी अर्थ – उनके बालों से बहने वाले जल से उनका कंठ पवित्र है, और उनके गले में सांप है जो हार की तरह लटका है और डमरू से डमट् डमट् डमट् की ध्वनि निकल रही है, भगवान शिव शुभ तांडव नृत्य कर रहे हैं, वे हम सबको संपन्नता प्रदान करें ।
जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥२॥
हिंदी अर्थ – मेरी शिव में गहरी रुचि है, जिनका सिर अलौकिक गंगा नदी की बहती लहरों की धाराओं से सुशोभित है, जो उनकी बालों की उलझी जटाओं की गहराई में उमड़ रही हैं ? जिनके मस्तक की सतह पर चमकदार अग्नि प्रज्वलित है, और जो अपने सिर पर अर्ध-चंद्र का आभूषण पहने हैं ।
धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
हिंदी अर्थ – मेरा मन भगवान शिव में अपनी खुशी खोजे, अद्भुत ब्रह्माण्ड के सारे प्राणी जिनके मन में मौजूद हैं, जिनकी अर्धांगिनी पर्वतराज की पुत्री पार्वती हैं, जो अपनी करुणा दृष्टि से असाधारण आपदा को नियंत्रित करते हैं, जो सर्वत्र व्याप्त है, और जो दिव्य लोकों को अपनी पोशाक की तरह धारण करते हैं ।
जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥
हिंदी अर्थ – मुझे भगवान शिव में अनोखा सुख मिले, जो सारे जीवन के रक्षक हैं, उनके रेंगते हुए सांप का फन लाल-भूरा है और मणि चमक रही है, ये दिशाओं की देवियों के सुंदर चेहरों पर विभिन्न रंग बिखेर रहा है, जो विशाल मदमस्त हाथी की खाल से बने जगमगाते दुशाले से ढंका है ।
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥
हिंदी अर्थ – भगवान शिव हमें संपन्नता दें, जिनका मुकुट चंद्रमा है, जिनके बाल लाल नाग के हार से बंधे हैं, जिनका पायदान फूलों की धूल के बहने से गहरे रंग का हो गया है, जो इंद्र, विष्णु और अन्य देवताओं के सिर से गिरती है ।
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥
हिंदी अर्थ – शिव के बालों की उलझी जटाओं से हम सिद्धि की दौलत प्राप्त करें, जिन्होंने कामदेव को अपने मस्तक पर जलने वाली अग्नि की चिनगारी से नष्ट किया था, जो सारे देवलोकों के स्वामियों द्वारा आदरणीय हैं, जो अर्ध-चंद्र से सुशोभित हैं ।
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥७॥
हिंदी अर्थ – मेरी रुचि भगवान शिव में है, जिनके तीन नेत्र हैं, जिन्होंने शक्तिशाली कामदेव को अग्नि को अर्पित कर दिया, उनके भीषण मस्तक की सतह डगद् डगद् की घ्वनि से जलती है, वे ही एकमात्र कलाकार है जो पर्वतराज की पुत्री पार्वती के स्तन की नोक पर, सजावटी रेखाएं खींचने में निपुण हैं ।
नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥८॥
हिंदी अर्थ – भगवान शिव हमें संपन्नता दें, वे ही पूरे संसार का भार उठाते हैं, जिनकी शोभा चंद्रमा है, जिनके पास अलौकिक गंगा नदी है, जिनकी गर्दन गला बादलों की पर्तों से ढंकी अमावस्या की अर्धरात्रि की तरह काली है ।
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥९॥
हिंदी अर्थ – मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूं, जिनका कंठ मंदिरों की चमक से बंधा है, पूरे खिले नीले कमल के फूलों की गरिमा से लटकता हुआ, जो ब्रह्माण्ड की कालिमा सा दिखता है । जो कामदेव को मारने वाले हैं, जिन्होंने त्रिपुर का अंत किया, जिन्होंने सांसारिक जीवन के बंधनों को नष्ट किया, जिन्होंने बलि का अंत किया, जिन्होंने अंधक दैत्य का विनाश किया, जो हाथियों को मारने वाले हैं, और जिन्होंने मृत्यु के देवता यम को पराजित किया ।
अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥१०॥
हिंदी अर्थ – मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूं, जिनके चारों ओर मधुमक्खियां उड़ती रहती हैं । शुभ कदंब के फूलों के सुंदर गुच्छे से आने वाली शहद की मधुर सुगंध के कारण, जो कामदेव को मारने वाले हैं, जिन्होंने त्रिपुर का अंत किया, जिन्होंने सांसारिक जीवन के बंधनों को नष्ट किया, जिन्होंने बलि का अंत किया, जिन्होंने अंधक दैत्य का विनाश किया, जो हाथियों को मारने वाले हैं, और जिन्होंने मृत्यु के देवता यम को पराजित किया ।
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥११॥
हिंदी अर्थ – शिव, जिनका तांडव नृत्य नगाड़े की ढिमिड ढिमिड तेज आवाज श्रंखला के साथ लय में है, जिनके महान मस्तक पर अग्नि है, वो अग्नि फैल रही है नाग की सांस के कारण, गरिमामय आकाश में गोल-गोल घूमती हुई ।
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥१२॥
हिंदी अर्थ – मैं भगवान सदाशिव की पूजा कब कर सकूंगा, शाश्वत शुभ देवता, जो रखते हैं सम्राटों और लोगों के प्रति समभाव दृष्टि, घास के तिनके और कमल के प्रति, मित्रों और शत्रुओं के प्रति,सर्वाधिक मूल्यवान रत्न और धूल के ढेर के प्रति, सांप और हार के प्रति और विश्व में विभिन्न रूपों के प्रति ?
कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् ।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥१३॥
हिंदी अर्थ – मैं कब प्रसन्न हो सकता हूं, अलौकिक नदी गंगा के निकट गुफा में रहते हुए, अपने हाथों को हर समय बांधकर अपने सिर पर रखे हुए, अपने दूषित विचारों को धोकर दूर करके, शिव मंत्र को बोलते हुए, महान मस्तक और जीवंत नेत्रों वाले भगवान को समर्पित ?
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥१४॥
हिंदी अर्थ – देवांगनाओं के सिर में गुंथे पुष्पो की मालाओं से झडते हुए सुंगधमय राग से मनोहर परम शोभा के धाम महादेव जी के अंगों की सुन्दरता परमानन्दयुक्त हमारे मन की प्रसन्नता को सर्वदा बढाती रहे |
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥१५॥
हिंदी अर्थ – प्रचंड बडवानल के समान पापों को भस्म करने में प्रचंड अमंगलों का विनाश करने वाले अष्ट सिद्धियों तथा चंचल नेत्रों वली कन्याओं से शिव विवाह समय गान की मंगलध्वनि सब मंत्रों में परमश्रेष्ठ शिव मंत्र से पुरित, संसारिक दुःखों को नष्ट कर विजय पायें |
इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥१६॥
हिंदी अर्थ – इस उत्त्मोत्म शिव तांडव स्तोत्र को नित्य पढने या श्रवण करने मात्र से प्राणी पवित्र हो जाता है, और परंगुरू शिव में स्थापित हो जाता है तथा सभी प्रकार के भ्रमों से मुक्त हो जाता है |
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं
यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥
हिंदी अर्थ – प्रातः शिवपूजन के अंत में इस रावणकृत शिवतांडव स्तोत्र के गान से लक्ष्मी स्थिर रहती हैं तथा भक्त रथ, गज, घोडा आदि संपदा से सर्वदा युक्त रहता है |
इति श्रीरावण कृतम्
शिव ताण्डव स्तोत्रम्सम्पूर्णम्
Shiv Tandav Stotram Lyrics Audio
If you are not able to read the Shiv Tandav Stotram on daily basis then you can just watch and listen to the audio of it. Here we are providing the Shiv Tandav Stotram in the voice of singer Shankar Mahadevan.
Download Shiv Tandav Stotram in Hindi Lyrics PDF
Reciting the Ravan Rachit Shiv Tandav Stotram daily has many benefits. This is a very powerful devotional song of Lord Shiva. You will get a blessing from Lord Shiva and you will be safe from all evil things. So we are providing the PDF file of the Shiv Tandav Stotram, read it daily and see the amazing results of it.
Shiv Tandav Stotram Benefits
भगवान शिव को शिव तांडव स्तोत्र का पाठ किसी अन्य पाठ से अधिक प्रिय है | यह बहुत चमत्कारिक स्तोत्र माना गया है, जो भी इसका पाठ करता है उसे भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं | तो चलिए इस चमत्कारिक स्तोत्र के फायदे जानते हैं |
- जो व्यक्ती शिव तांडव स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करता हैं उसे धन संपत्ती की कभी कमी नही होती |
- नित्य रूप से यह पाठ करने से व्यक्ति का चेहरा तेजमय होता हैं और उसका आत्मबल भी मजबूत होता हैं |
- शिव तांडव का पाठ करने से आपकी हर इच्छा और आकांक्षा पुर्ण हो जाती हैं |
- ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ती प्रतिदिन शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करता हे वह वाणी की सिद्धी भी प्राप्त कर सकता हैं |
- यह पाठ करने से किसी भी प्रकार के कुप्रभावों तथा शत्रुओं से छुटकारा मिलता हैं |
- अगर आपकी कुंडली में सर्प योग, कालसर्प योग या पितृ दोष है तो आपको शिव तांडव स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए |
Conclusion
शिव तांडव स्तोत्र में रावण ने शिव जी की स्तुति कुल 17 श्लोकों में गाई है | यह स्तुति शिव जी को बहुत ज्यादा पसंद हैं | यह स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल या प्रदोष काल में करने से आपको बहुत सारे फायदे मिलते हैं | शिव जी को प्रणाम करके इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए | यह स्तोत्र का पाठ तेज स्वर में करना उत्तम होता हैं क्यूंकि रावण ने पीड़ा के कारण इस स्तोत्र को तेज स्वर में गाया था | इसका पाठ नृत्य के साथ करना सर्वोत्तम माना गया है | यह स्तोत्र का पाठ बहुत ही शक्तिशाली माना गया है इसीलिए पाठ पूर्ण होने के बाद भगवान भोलेनाथ का ध्यान अवश्य करें |